दिल्ली की सियासत एक बार फिर हिल गई है, और इस बार मामला है फर्जी वोटर लिस्ट का। न्यूज 18 इंडिया की एक जांच में सामने आया है कि जनकपुरी विधानसभा के चाणक्य प्लेस और तेखंड इलाकों में फर्जी वोटरों का खेल बड़े पैमाने पर खेला गया है।
फैक्ट्री के पते पर 'वोटर मेकिंग मशीन'!
चाणक्य प्लेस की एक फैक्ट्री के पते पर 10 वोटर रजिस्टर पाए गए। लेकिन जब फैक्ट्री मालिक से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ कहा, "ये लोग कौन हैं, मुझे नहीं पता। हमारे यहां सिर्फ मशीनें काम करती हैं, वोटर नहीं!" अब सवाल उठता है कि क्या ये वोटर मशीनों से तैयार हुए हैं, या फिर फैक्ट्री में 'वोटर मैन्युफैक्चरिंग' का नया प्रोजेक्ट चल रहा है?
मकान मालिक के पते पर 'मिनी भारत'
तेखंड इलाके में एक मकान के पते पर 60 वोटर रजिस्टर मिले, और सभी एक ही समुदाय से हैं। मकान मालिक का कहना है, "मैंने अपना मकान किराए पर नहीं दिया। ये लोग कौन हैं, ये जानने के लिए मैंने खुद शिकायत दर्ज कराई है।" अब सवाल यह है कि मकान के अंदर इतने सारे लोग कैसे 'रहते' हैं, और मकान मालिक को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी?
बांग्लादेश कनेक्शन का आरोप
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इन फर्जी वोटरों में से कई बांग्लादेशी नागरिक हो सकते हैं। इससे दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी पर सीधे सवाल उठ रहे हैं। आखिर इतने फर्जी वोटर आए कहां से? क्या यह सब चुनावी गणित के तहत किया गया है?
आम आदमी पार्टी कटघरे में
इस पूरे मामले में आरोपों की आंच सीधे आम आदमी पार्टी तक पहुंच रही है। विपक्ष ने सीधे केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है, "चुनाव जीतने के लिए दिल्ली की सुरक्षा तक को ताक पर रख दिया गया है।"
चुनाव आयोग और प्रशासन पर सवाल
चुनाव आयोग और दिल्ली प्रशासन से भी जनता जवाब मांग रही है। फर्जी वोटर लिस्ट का यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
दिल्ली में फर्जी वोटर लिस्ट का यह मामला सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और लोकतंत्र की नींव पर हमला है। सरकार और चुनाव आयोग को तुरंत इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि जनता का लोकतंत्र में विश्वास बना रहे।
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