2G spectrum scam : यूपीए सरकार में 30,984 करोड़ रुपये का भारी वित्तीय घोटाला, दूरसंचार क्षेत्र में नियमों के उल्लंघन का आरोप
2जी घोटाला साल 2010 में सामने आया एक बड़ा राजनीतिक और आर्थिक घोटाला था, जो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के कार्यकाल में हुआ। इस घोटाले में 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंसों को कुछ शर्तों पर आवंटित किया गया, जिनसे कुछ चुनिंदा दूरसंचार कंपनियों को विशेष लाभ मिला। इस अनियमित आवंटन के कारण सरकारी खजाने को करीब 30,984 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ।
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में इस वित्तीय हानि का जिक्र किया गया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि लाइसेंसों का वितरण 'पहले आओ, पहले पाओ' नीति पर हुआ था, जिसके तहत कुछ कंपनियों को बाजार मूल्य से कम कीमत पर स्पेक्ट्रम दिया गया। इस प्रक्रिया ने न केवल पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा का उल्लंघन किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को तोड़ा गया।
इस घोटाले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए. राजा और कई अन्य प्रमुख राजनेताओं पर आरोप लगे। 2जी घोटाला भारतीय राजनीति में एक बड़े विवाद का कारण बना और देश के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को मजबूत किया।
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