प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले महाकुंभ मेले का पहला शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के अवसर पर होगा। महाकुंभ का यह महापर्व श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अवसर है, जिसमें त्रिवेणी संगम में स्नान करने से असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।
शाही स्नान का धार्मिक महत्व
शाही स्नान महाकुंभ के दौरान सबसे पवित्र माना जाता है। इसे "आध्यात्मिक शुद्धिकरण" का प्रतीक माना जाता है।
• नागा साधुओं का स्नान: सबसे पहले नागा साधु, जो सनातन धर्म के प्रमुख संत हैं, संगम में डुबकी लगाते हैं।
• आम श्रद्धालुओं का स्नान: नागा साधुओं के बाद आम लोग स्नान कर सकते हैं।
• पुण्य फल: धार्मिक मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से न केवल इस जन्म के बल्कि पिछले जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तिथियां
- पहला शाही स्नान: 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति)
- दूसरा शाही स्नान: 29 जनवरी 2025 (मौनी अमावस्या)
- तीसरा शाही स्नान: 3 फरवरी 2025 (सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी)
महाकुंभ स्नान का महत्व
• पितृ तर्पण: शाही स्नान के दिन संगम में स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
• पाप मुक्ति: स्नान-दान करने से जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है।
• आध्यात्मिक लाभ: महाकुंभ में संगम स्नान को सहस्र अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्यकारी माना गया है।
श्रद्धालुओं के लिए खास संदेश
महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं से प्रशासन ने अपील की है कि वे शांति और अनुशासन बनाए रखें। मेला क्षेत्र में सभी सुविधाओं का ध्यान रखा गया है, और संगम में स्नान के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
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