शराबबंदी पर राजद-जदयू की तकरार: क्या यह जनता को गुमराह करने की सियासत है? Bihar Politics


बिहार : इन दिनों बिहार की राजनीति में शराबबंदी को लेकर राजद (RJD) और जदयू (JDU) के बीच विवाद तेज हो गया है। राजद ने शराबबंदी की विफलता पर सवाल उठाते हुए जदयू का नया नामकरण करते हुए अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर J- जहां, D- दारू, U- अनलिमिटेड कहा है। यह व्यंग्यात्मक हमला सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी शराबबंदी नीति पर किया गया है।

राजद का शराबबंदी पर हमला


राजद ने शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार को विफल बताते हुए यह तंज कसा है कि राज्य में शराबबंदी सिर्फ नाम की रह गई है। हालांकि, नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं, और यह मुद्दा बिहार की राजनीति में हमेशा गर्म रहा है। 


सवाल राजद पर भी उठता है


हालांकि, राजद का यह हमला खुद उसकी नीति और कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। जब 2015 से 2017 तक और फिर 2022 से 2024 तक राजद जदयू के साथ सत्ता में था, तब शराबबंदी पर कोई कठोर कदम क्यों नहीं उठाया गया? यह तब एक बड़ा मुद्दा क्यों नहीं बना? उस समय, राजद सत्ता में साझीदार होने के बावजूद शराबबंदी की असफलता पर कोई कदम उठाने में विफल रहा। इस लिहाज से यह कहना सही है कि सत्ता में रहते हुए राजद सत्ता की मलाई खाने में व्यस्त था, और अब जब जदयू से दूर है, तो उसे नीतीश कुमार और उनकी सरकार की सभी गलतियां नजर आ रही हैं।


जनता को गुमराह करने की राजनीति?


यह सियासी तकरार न केवल नेताओं के बीच बल्कि जनता के बीच भ्रम पैदा करने का प्रयास भी है। सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियां, जब वे सत्ता में होती हैं, तो कई मुद्दों को नजरअंदाज कर देती हैं, और जब सत्ता से बाहर होती हैं, तो उन्हीं मुद्दों को उठाकर जनता के बीच अपनी छवि सुधारने का प्रयास करती हैं। शराबबंदी पर राजद और जदयू की यह खींचतान इसी राजनीतिक चालबाजी का एक उदाहरण है।

इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक बयानबाजी से जनता को गुमराह करना न केवल अनुचित है, बल्कि राज्य के विकास और जनता के हितों के लिए भी नुकसानदायक है।

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