Amazing facts in hindi : पेड़ों की उम्र कैसे मापी जाती है ?



पेड़ों की उम्र मापने की प्रक्रिया को डेंड्रोकल्चर (Dendrochronology) कहा जाता है, जो वैज्ञानिक तरीके से पेड़ों की उम्र का निर्धारण करने में मदद करती है। पेड़ों की उम्र मापने के कई तरीके होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:


1. वार्षिक वृत्तों (Tree Rings) की गणना 


  •    अधिकांश पेड़ों में हर साल एक नई परत या छल्ला बनता है। यह छल्ला गर्मियों और सर्दियों के दौरान पेड़ की वृद्धि के कारण बनता है। इसेवार्षिक वृत्त(Annual Rings) या विकास छल्ले (Growth Rings) कहा जाता है।
  •    हर साल, जब पेड़ बढ़ता है, तो लकड़ी का एक नया छल्ला बनता है। गर्मी के मौसम में बनने वाला छल्ला हल्के रंग का होता है और ठंड के मौसम में बनने वाला छल्ला गहरे रंग का होता है।
  •    एक पेड़ की तने को काटकर, या विशेष उपकरणों से छेद करके इन छल्लों को गिना जा सकता है। छल्लों की संख्या के आधार पर पेड़ की उम्र का अंदाजा लगाया जाता है।
   
उदाहरण: अगर किसी पेड़ में 100 छल्ले हैं, तो इसका मतलब है कि पेड़ की उम्र लगभग 100 साल है।

2. पेड़ के बाहरी आकार और मोटाई से 


  •     कुछ पेड़ों की उम्र को उनकी मोटाई और ऊंचाई से अनुमानित किया जा सकता है। पेड़ों की मोटाई बढ़ने की गति अलग-अलग प्रजातियों में भिन्न होती है, लेकिन यह उम्र का एक मोटा संकेतक हो सकता है। 
  •    विशेष गणितीय सूत्रों का उपयोग करके पेड़ की चौड़ाई और ऊंचाई को आधार बनाकर उम्र का अनुमान लगाया जाता है। लेकिन यह तरीका सटीक नहीं होता, क्योंकि पेड़ों की वृद्धि दर उनके पर्यावरण और परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

3. कोर सैंपलिंग (Core Sampling)


  •    यह एक वैज्ञानिक तरीका है जिसमें एक विशेष उपकरण जिसे Increment Borer कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है। इस उपकरण की मदद से पेड़ के तने से बिना उसे नुकसान पहुंचाए एक पतला नमूना निकाला जाता है, जिसमें पेड़ के छल्ले स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
  •    इस नमूने को माइक्रोस्कोप के तहत गिनकर पेड़ की सटीक उम्र पता की जाती है।
   
फ़ायदा: इस प्रक्रिया में पेड़ को काटने की जरूरत नहीं होती, जिससे उसकी प्राकृतिक स्थिति बनी रहती है।


4. रेडियोकार्बन डेटिंग (Carbon Dating)


  •    पेड़ों की उम्र का पता लगाने का एक और वैज्ञानिक तरीका है रेडियोकार्बन डेटिंग। यह विधि तब उपयोग की जाती है जब पेड़ बहुत पुराना हो और उसे काटने या छल्लों को गिनने की प्रक्रिया सटीक न हो।
  •    इस प्रक्रिया में पेड़ की लकड़ी में मौजूद कार्बन तत्वों की मात्रा और उनके रेडियोधर्मी विघटन के आधार पर पेड़ की उम्र का अनुमान लगाया जाता है। 


 5. पेड़ की प्रजाति पर निर्भरता 


  •    पेड़ की उम्र जानने के लिए उसकी प्रजाति का भी ध्यान रखना पड़ता है। कुछ पेड़, जैसे ओक और पाइन, बहुत लंबे समय तक जीवित रहते हैं, जबकि कुछ पेड़ केवल कुछ दशकों तक ही जीवित रहते हैं।
  •    प्रजाति के आधार पर पेड़ की वृद्धि दर अलग-अलग होती है, जिससे उम्र का अंदाजा लगाया जाता है।

उदाहरण:


  •    बनयान (बरगद) और पीपल: इन पेड़ों की उम्र का अंदाजा उनके विशाल तनों और फैलाव से लगाया जा सकता है। ये पेड़ सैकड़ों सालों तक जीवित रह सकते हैं।
  •   रिंग-प्रमुख पेड़: जैसे कि ओक, पाइन आदि, इनकी उम्र छल्लों को गिनकर आसानी से पता की जा सकती है।


पेड़ों की उम्र मापने का सबसे सटीक तरीका उनके तनों में मौजूद वार्षिक वृत्तों को गिनना है। हालांकि, यदि यह संभव नहीं हो, तो कोर सैंपलिंग और रेडियोकार्बन डेटिंग जैसी वैज्ञानिक विधियों का उपयोग किया जाता है।  


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