लालू प्रसाद यादव, भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता, जिन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक के रूप में बिहार की राजनीति में लंबा समय बिताया, विभिन्न घोटालों और आरोपों के केंद्र में रहे हैं। उनका नाम विशेष रूप से चारा घोटाले से जुड़ा रहा है, जो 1990 के दशक में बिहार में जानवरों के चारे के लिए आवंटित सरकारी धन के व्यापक दुरुपयोग से संबंधित था। इस घोटाले के कारण लालू यादव को जेल जाना पड़ा और उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे।
चारा घोटाला
चारा घोटाला 1990 के दशक में उजागर हुआ और इसमें लगभग 950 करोड़ रुपये की सरकारी धनराशि का घोटाला हुआ था, जो बिहार के पशुपालन विभाग द्वारा जानवरों के चारे के नाम पर निकाली गई थी। लालू यादव पर आरोप था कि उन्होंने इस घोटाले को संरक्षण दिया था, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इस मामले में उन्हें 2013 में दोषी ठहराया गया और कई बार जेल की सजा भुगतनी पड़ी।
IRCTC घोटाला
लालू यादव पर एक और बड़ा आरोप IRCTC घोटाले का है। यह मामला उस समय का है जब लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। आरोपों के अनुसार, रेलवे के दो होटलों को प्राइवेट कंपनी को सस्ते दामों पर ठेके पर देने के बदले, लालू यादव और उनके परिवार को पटना में कीमती जमीन सस्ते में दी गई थी। इस घोटाले के तहत CBI ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। CBI के आरोप के अनुसार, यह जमीन सौदा रेल मंत्री रहते हुए किए गए अवैध सौदेबाजी का हिस्सा था, जिसमें घूस के रूप में जमीन ली गई थी। इस मामले में लालू यादव और उनके परिवार को सीबीआई की पूछताछ का सामना करना पड़ा और न्यायालय में भी पेश होना पड़ा।
नौकरी के बदले जमीन घोटाला
लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ एक और गंभीर आरोप नौकरी के बदले जमीन का है। इस घोटाले के तहत आरोप लगाया गया कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब कुछ लोगों को रेलवे में नौकरी देने के बदले उनके परिवार ने उनसे कीमती जमीनें लीं। CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले की जांच शुरू की, जिसके तहत कई संपत्तियों पर छापेमारी भी की गई। आरोप है कि कई उम्मीदवारों से रेलवे में नौकरी के बदले उनकी जमीनें बहुत कम कीमत पर ली गईं और बाद में लालू यादव के परिवार के नाम कर दी गईं।
परिवार पर अन्य आरोप
लालू यादव के परिवार पर कई अन्य आर्थिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं। उनके बेटे तेजस्वी यादव और अन्य पर भी आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप है। उनके परिवार की संपत्तियों और उनके बैंक खातों की जांच भी की गई, और कई मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने संपत्ति जब्त भी की है।
इन आरोपों के बावजूद, लालू यादव और उनका परिवार बार-बार यह दावा करता आया है कि ये सभी मामले राजनीतिक प्रतिशोध के तहत दर्ज किए गए हैं। उनका कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उन्हें और उनके परिवार को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए फंसाया गया है।
निष्कर्ष
लालू यादव और उनका परिवार भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, लेकिन उन पर लगे ये घोटाले और आरोप उनके राजनीतिक जीवन में काले धब्बे के रूप में उभरे हैं। जहां एक तरफ उनके समर्थक उन्हें गरीबों और पिछड़ों के नेता के रूप में देखते हैं, वहीं दूसरी ओर उनके विरोधियों के लिए ये घोटाले उनके भ्रष्टाचार के प्रतीक हैं। मामलों का फैसला न्यायालय में होना अभी बाकी है, और देखना होगा कि समय के साथ इन आरोपों का क्या परिणाम निकलता है।
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