Bihar politics : हाल के लोकसभा चुनाव परिणामों ने एक बार फिर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक ताकत और रणनीतिक प्रभाव को उजागर किया है। उनकी पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ मिलकर एक मजबूत स्थिति में रही, जिसने उन्हें बिहार की राजनीति का एक प्रमुख चेहरा बनाए रखा है। उनके कुशल नेतृत्व और सुशासन मॉडल ने उन्हें मिडल क्लास और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच व्यापक समर्थन दिलाया है।
नीतीश कुमार की राजनीति की विशेषताएं
1. सुशासन और विकास : 2005 से सत्ता में रहने के बाद, नीतीश कुमार ने बिहार में कानून-व्यवस्था को सुधारने और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सड़कों, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने उनकी लोकप्रियता को बढ़ाया है।
2. जातिगत राजनीति : नीतीश कुमार ने बिहार की जटिल जातिगत राजनीति में संतुलन बनाकर अपना प्रभाव कायम रखा है। उन्होंने ओबीसी, ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग), और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चलाईं, जो उनके जनाधार को मजबूत बनाती हैं।
3. धर्मनिरपेक्ष छवि : नीतीश कुमार ने हमेशा अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखा है, जिससे वे विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच लोकप्रिय रहे हैं।
4. राजनीतिक गठजोड़ : बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन पिछले कई वर्षों से बिहार की राजनीति का मजबूत स्तंभ बना हुआ है। इस गठजोड़ ने राज्य की राजनीति को स्थिरता प्रदान की है, हालांकि बीच-बीच में असहमति के बावजूद गठबंधन ने लंबे समय तक साथ काम किया है।
आगामी चुनौतियां
हालांकि नीतीश कुमार का राजनीतिक कद आज भी बिहार में मजबूत है, लेकिन उन्हें विपक्षी दलों, खासकर तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (RJD), से चुनौती मिलती रही है। साथ ही, रोजगार, शिक्षा और औद्योगिक विकास जैसे मुद्दों पर काम करने का दबाव बढ़ रहा है।
नीतीश कुमार का राजनीतिक कौशल और उनकी सुशासन की छवि उन्हें बिहार की राजनीति में एक अनिवार्य नेता बनाती है, और आगामी चुनावों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
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